Breaking News
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने गल्जवाड़ी में 92 लाख की लागत से बनने वाले सामुदायिक भवन का किया शिलान्यास
मुख्यमंत्री धामी ने उच्चाधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक, दिए सख्त निर्देश
एक देश एक चुनाव से और अधिक सशक्त होगा लोकतंत्र – मुख्यमंत्री
खनन माफियाओं पर शिकंजा, पौड़ी खनन विभाग ने कमाए 29.62 करोड़ रुपये
2009 के बाद पहली बार निर्धारित समय से पहले दस्तक देगा मानसून, मौसम विभाग ने दी जानकारी
पदक विजेताओं को नगद इनाम के लिए पैसा जारी, खेल मंत्री रेखा आर्या ने जताया मुख्यमंत्री का आभार
भारत से हारने की खुशी में मुनीर को पाक ने पहनाया हार- महाराज
चुनाव में पारदर्शिता के लिए आयोग सख्त, व्यय विवरण न देने वालों पर होगी कार्रवाई
क्या आप भी करते हैं गर्मियों में अधिक आम का सेवन, अगर हां, तो जान लीजिये इसके नुकसान  

न्याय की देवी की मूर्ति में बदलाव, अब पट्टी हटी, हाथ में तलवार की जगह संविधान

नई दिल्ली। अक्सर आपने सुना होगा कि “कानून अंधा होता है,” लेकिन अब यह कहावत पुरानी हो चुकी है। न्याय की देवी की नई मूर्ति का अनावरण किया गया है, जिसमें कई अहम बदलाव किए गए। अब न्याय की देवी की आंखों पर कोई पट्टी नहीं है, और तलवार की जगह उनके हाथ में भारत का संविधान नजर आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के निर्देश पर अदालतों में लगने वाली इस मूर्ति में बदलाव किए गए हैं, जो एक बड़ा संदेश दे रहे हैं।

क्यों हटाई गई पट्टी?
पहले न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी यह दर्शाती थी कि न्याय बिना पक्षपात के, सभी के लिए समान होता है। लेकिन अब इस पट्टी को हटा दिया गया है ताकि यह संदेश दिया जा सके कि कानून अंधा नहीं है और हर व्यक्ति को निष्पक्ष और स्पष्ट दृष्टि से देखा जाएगा। यह बदलाव लोगों के बीच कानून और न्याय की प्रक्रिया के प्रति विश्वास बढ़ाने की कोशिश है।

तलवार की जगह संविधान
पहले न्याय की देवी के बाएं हाथ में तलवार हुआ करती थी, जिसे अब हटा दिया गया है। इसके स्थान पर संविधान रखा गया है, जो यह संदेश देता है कि हर फैसला विधि के अनुरूप और संविधान के आधार पर होगा। यह बदलाव न्यायिक प्रक्रिया में आधुनिकता और संवैधानिक मूल्यों को प्रदर्शित करता है।

नई मूर्ति का स्वागत
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायिक प्रक्रिया में पुराने ब्रिटिश कालीन प्रतीकों को बदलने की पहल की है। यह कदम न्यायपालिका की छवि में भारतीयता और समयानुसार बदलाव लाने का प्रयास है। संविधान की मूल भावना—समानता का अधिकार—अब इस मूर्ति के जरिए प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देगा, और इस बदलाव का समाज के हर वर्ग में स्वागत हो रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top